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शे'र
कोई मर कर तो देखे इम्तिहाँ-गाह-ए-मोहब्बत मेंकि ज़ेर-ए-ख़ंजर-ए-क़ातिल हयात-ए-जावेदाँ तक है
बेदम शाह वारसी
शे'र
इम्तिहाँ-गाह-ए-वफ़ा में तू भी चल मैं भी चलूँआज ऐ शमशीर-ए-क़ातिल मैं नहीं या तू नहीं
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
हश्र के दिन इम्तिहाँ पेश-ए-ख़ुदा दोनों का हैलुत्फ़ है उनकी जफ़ा मेरी वफ़ा से कम रहे
मिरर्ज़ा फ़िदा अली शाह मनन
शे'र
मुरीद-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना हुए क़िस्मत से ऐ नासेहन झाड़ें शौक़ में पलकों से हम क्यूँ सहन-ए-मय-ख़ाना
इब्राहीम आजिज़
शे'र
सर-ओ-बर्ग-ए-ख़ुशी ऐ गुल-बदन तुझ बिन कहाँ मुझ कोगुलिस्तान-ए-दिल आया फ़ौज-ए-ग़म की पाएमाली में
मीर मोहम्मद बेदार
शे'र
याद में उस क़द-ओ-रुख़्सार के ऐ ग़म-ज़दगाँजा के टुक बाग़ में सैर-ए-गुल-ओ-शमशाद करो