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शे'र
तलाश-ए-बुत में मुझ को देख कर जन्नत में सब बोलेये काफ़िर क्यूँ चला आया मुसलमानों की बस्ती में
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
ये बोला देख कर आईना मुझ से वो मेरा ख़ुद-बींकहो ख़ुश-रू जहाँ में और हैं मेरे मुक़ाबिल के
औघट शाह वारसी
शे'र
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
कह दिया फ़िरऔ’न ने भी मैं ख़ुदा कर के ख़ुदीहो के बे-ख़ुद जब कहे इंकार की हाजत नहीं
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
बला के रंज-ओ-ग़म दरपेश हैं राह-ए-मोहब्बत मेंहमारी मंज़िल-ए-दिल तक हमें अल्लाह पहुँचाए
सदिक़ देहलवी
शे'र
जहान-ए-बे-ख़ुदी में मस्ती-ए-वहदत जो ले जायेफ़रिश्ते लें क़दम मेरे वो हूँ मैं रिंद-ए-मस्तान:
इब्राहीम आजिज़
शे'र
दिल फंसा कर ज़ुल्फ़ में ख़ुद है पशेमानी मुझेदह्र में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कहती है ज़िंदानी मुझे
सादिक़ लखनवी
शे'र
मुझसे अव़्वल न था कुछ दह्र में जुज़ ज़ात-ए-ख़ुदाग़ैर-ए-हक़ देखा तो फिर कुछ न रहा मेरे बा’द
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
शे'र
ख़ुद-साज़ी में मसरूफ़-ए-ख़ुदाई है 'सुलैमाँ'दुनिया में कोई मर्द-ए-ख़ुदा-साज़ कहाँ है