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शे'र
चश्म-ए-हक़ीक़त-ए-आश्ना देखे जो हुस्न की किताबदफ़्तर-ए-सद-हदीस-ए-राज़ हर वरक़-ए-मजाज़ हो
बेदम शाह वारसी
शे'र
चु नै ख़ाली शुदम अज़ आरज़ूहा लैक इ'श्क़-ए-ऊब-गोशम मी-दमद हर्फ़े कि मन नाचार मी-नालम
ख़्वाजा मीर दर्द
शे'र
साँस में आवाज़-ए-नय है दिल ग़ज़ल-ख़्वाँ है 'ज़हीन'शायद आने को है वो जान-ए-बहाराँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
शे'र
गदाई में मिली शाही मुझे उस की इ’नायत सेभला क्यूँकर अदा हो शुक्र उस के लुत्फ़-ए-बे-हद का
अख़्तर महमूद वारसी
शे'र
नई है बिलकुल नई है साहब ये दास्ताँ जो सुना रहा हूँअभी अभी ही बना हूँ बंदा पहले मैं भी ख़ुदा रहा हूँ
फ़क़ीर क़ादरी
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बेदम शाह वारसी
शे'र
बेदम शाह वारसी
शे'र
कहीं है आँख आ’शिक़ की कहीं दीदार-ए-जानाँ हैबहार-ए-हुस्न-इ-ताबाँ में तू ही तू है तू ही तू है
चौधरी दल्लू राम
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सय्यदा ख़ैराबादी
शे'र
मुझे इ’श्क़ ने ये पता दिया कि न हिज्र है न विसाल हैउसी ज़ात का मैं ज़ुहूर हूँ ये जमाल उसी का जमाल है