आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "man samjhawan maha rishi ram das ebooks"
शेर के संबंधित परिणाम "man samjhawan maha rishi ram das ebooks"
शे'र
जिस्म का रेशा रेशा मचले दर्द-ए-मोहब्बत फ़ाश करेइ’शक में 'काविश' ख़ामोशी तो सुख़नवरी से मुश्किल है
अब्दुल हादी काविश
शे'र
इ’श्क़ माही दे लाइयाँ अग्गीं लग्गी कौण बुझावे हूमैं की जाणाँ ज़ात इ’श्क़ जो दर दर जा झुकावे हू
सुल्तान बाहू
शे'र
आ’शिक़ इ’श्क़ माही दे कोलों फिरन हमेशा खीवे हूजींदे जान माही नूँ डित्ती दोहीं जहानीं जीवे हू
सुल्तान बाहू
शे'र
ऐ जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मनदीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ
अहमद रज़ा ख़ान
शे'र
मन पाया है उस ने दिल मेरा काबा है घर अल्लाह का हैअब खोद के उस को फिकवा दे वो बुत न कहीं बुनियाद सती
ग़ुलाम नक़्शबंद सज्जाद
शे'र
जिलाया मार कर क़ातिल ने मैं इस क़त्ल के क़ुर्बांहुआ दाख़िल वो ख़ुद मुझ में मैं ऐसे दख़्ल के क़ुर्बां
मर्दान सफ़ी
शे'र
कहीं है आँख आ’शिक़ की कहीं दीदार-ए-जानाँ हैबहार-ए-हुस्न-इ-ताबाँ में तू ही तू है तू ही तू है
चौधरी दल्लू राम कौसरी
शे'र
'आरिफ़ा' मैं ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में रहा जब बे-ख़बरजाग कर मैं ने सुना दिलबर प्यारा फिर गया