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शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
ये आ’लम है ‘रियाज़’ एक एक क़तरा को तरसता हूँहरम में अब ख़ुदा जाने भरी बोतल कहाँ रख दी
रियाज़ ख़ैराबादी
शे'र
मैं हूँ एक आशिक़-ए-बे-नवा तू नवाज़ अपने पयाम सेये तिरी रज़ा पे तिरी ख़ुशी तू पुकार ले किसी नाम से