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शे'र
गुलशन-ए-जन्नत की क्या परवा है ऐ रिज़वाँ उन्हेंहैं जो मुश्ताक़-ए-बहिश्त-ए-जावेदान-ए-कू-ए-दोस्त
अमीर मीनाई
शे'र
गुलशन-ए-जन्नत की क्या परवा है ऐ रिज़वाँ उन्हेंहैं जो मुश्ताक़-ए-बहिश्त-ए-जावेदान-ए-कू-ए-दोस्त
अमीर मीनाई
शे'र
उसी का है रंग यासमन में उसी की बू-बास नस्तरन मेंजो खड़के पत्ता भी इस चमन में ख़याल आवाज़ आश्ना कर
अमीर मीनाई
शे'र
बादा-ख़्वार तुम को क्या ख़ुर्शीद-ए-महशर का है ख़ौफ़छा रहा है अब्र-ए-रहमत शामियाने की तरह