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शे'र
अरे दिल मिस्ल-ए-बुलबुल चुप हमेशा नाला-ज़न है तूँकहीं गुल-पैरहन गुल-रू की पाया कुछ ख़बर है रे
तुराब अली दकनी
शे'र
कुछ ऐसा दर्द शोर-ए-क़ल्ब-ए-बुलबुल से निकल आयाकि वो ख़ुद रंग बन कर चेहरः-ए-गुल से निकल आया
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
बुलबुल सिफ़त ऐ गुल-बदन इस बाग़ में हर सुब्हतेरी बहारिस्तान का दीवाना हूँ दीवाना हूँ
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
चलता हूँ राह-ए-इ’श्क़ में आँखों से मिस्ल-ए-अश्कफूटें कहीं ये आबले सरसब्ज़ होवें ख़ार
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
मिस्ल-ए-गुल बाहर गया गुलशन से जब वो गुल-एज़ारअश्क-ए-ख़ूनी से मेरा तन तर-ब-तर होने लगा
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
मिस्ल-ए-गुल बाहर गया गुलशन से जब वो गुल-ए'ज़ारअश्क-ए-ख़ूनी से मेरा तन तर-ब-तर होने लगा
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
जूँ मिसाल उस की नुमूदार हुई तूँ ही 'बयाँ'तपिश-ए-दिल ने किया ख़्वाब से बेदार मुझे
एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
शे'र
उस बुलबुल-ए-असीर की हसरत पे दाग़ हूँमर ही गई क़फ़स में सुनी जब सदा-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
फूले नहीं समाते हो जामा में मिस्ल-ए-गुलपहुँचा है तुम को आज कसो का पयाम-ए-ख़ास
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
मिरा जी जलता है उस बुलबुल-ए-बेकस की ग़ुर्बत परकि जिन ने आसरे पर गुल के छोड़ा आशियाँ अपना