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शे'र
ये है मुख़्तसर फ़साना मिरी ज़िंदगी का नासेहग़म-ए-आशिक़ी फ़क़त था ग़म-ए-दो-जहाँ से पहले
अफ़क़र मोहानी
शे'र
क्या इन आहों से शब-ए-ग़म मुख़्तसर हो जाए गीये सह सेहर होने की बातें हैं सेहर हो जाए गी
क़मर जलालवी
शे'र
अमीर मीनाई
शे'र
अमीर मीनाई
शे'र
वाए क़िस्मत शम्अ' पूछे भी न परवानों की बातऔर बे-मिन्नत मिलें बोसे लब-ए-गुल-गीर को