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शे'र
लगा दी आग उन के शो'ला-ए-आरिज़ ने गुलशन मेंज़र-ए-गुल बन गईं चिंगारियाँ फूलों के दामन में
हसन इमाम वारसी
शे'र
नामा-बर ख़त दे के उस को लफ़्ज़ कुछ मत बोलियोदम-ब-ख़ुद रहियो तेरी तक़रीर की हाजत नहीं