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शे'र
मैं वो साफ़ ही न कह दूँ जो है फ़र्क़ मुझ में तुझ मेंतिरा दर्द दर्द-ए-तन्हा मिरा ग़म ग़म-ए-ज़माना
जिगर मुरादाबादी
शे'र
फ़स्ल-ए-बहार में तो क़ैद-ए-क़फ़स में गुज़रीछूटे जो अब क़फ़स से तो मौसम-ए-ख़िज़ाँ है
हैरत शाह वारसी
शे'र
ऐ जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मनदीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ
अहमद रज़ा ख़ान
शे'र
अ’ज़्म-ओ--इस्तिक़लाल है शर्त-ए-मुक़द्दम इशक मेंकोई जादः क्यूँ न हो इंसान उस पर जम रहे
कामिल शत्तारी
शे'र
'आरिफ़ा' मैं ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में रहा जब बे-ख़बरजाग कर मैं ने सुना दिलबर प्यारा फिर गया
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
इम्तिहाँ-गाह-ए-वफ़ा में तू भी चल मैं भी चलूँआज ऐ शमशीर-ए-क़ातिल मैं नहीं या तू नहीं
मुज़तर ख़ैराबादी
शे'र
हैं शौक़-ए-ज़ब्ह में आशिक़ तड़पते मुर्ग़-ए-बिस्मिल सेअजल तो है ज़रा कह आना ये पैग़ाम क़ातिल से
शाह अकबर दानापूरी
शे'र
नहीं आती क़ज़ा मक़्तल में ख़ौफ़-ए-तेग़-ए-क़ातिल सेइलाही ख़ैर क्यूँ-कर दम तन-ए-बिस्मिल से निकलेगा
हशम लखनवी
शे'र
नहीं आती क़ज़ा मक़्तल में ख़ौफ़-ए-तेग़-ए-क़ातिल सेइलाही ख़ैर क्यूँ-कर दम तन-ए-बिस्मिल से निकलेगा