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शे'र
मेरी आँख बंद थी जब तलक वो नज़र में नूर-ए-जमाल थाखुली आँख तो ना ख़बर रही कि वो ख़्वाब था कि ख़्याल था
बहादुर शाह ज़फ़र
शे'र
बहादुर शाह ज़फ़र
शे'र
कामिल शत्तारी
शे'र
अब्दुल हादी काविश
शे'र
उफ़-रे बाद-ए-जोश-ए-जवानी आँख न उन की उठती थीमस्ताना हर एक अदा थी हर इ’श्वा मस्ताना था
बेदम शाह वारसी
शे'र
जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुमक्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो ऐ यारो इक नाशाद सती
ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद
शे'र
जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुमक्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो ऐ यारो इक नाशाद सती
ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
बेदम शाह वारसी
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए