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शे'र
सुरूर-ओ-कैफ़ का नग़्मा ग़म-ओ-अंदोह का नौहातिलिस्म-ए-ज़ीस्त की सरगम कभी कुछ है कभी कुछ है
अब्दुल हादी काविश
शे'र
जहाँ हैं महव-ए-नग़्मा बुलबुलें गुल जिस में ख़ंदाँ हैंउसी गुलशन में कल ज़ाग़-ओ-ज़ग़न का आशियाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
ये दिल में है जो घबराहट ये आँखों में है जो आँसूइस एहसाँ को भी बाला-ए-करम महसूस करता हूँ
बह्ज़ाद लखनवी
शे'र
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँमगर हाँ दिल में कुछ कुछ ज़ेर-ओ-बम महसूस करता हूँ
बह्ज़ाद लखनवी
शे'र
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँमगर हाँ दिल में कुछ कुछ ज़ेर-ओ-बम महसूस करता हूँ
बह्ज़ाद लखनवी
शे'र
उन को बुत समझा था या उन को ख़ुदा समझा था मैंहाँ बता दे ऐ जबीन-ए-शौक़ क्या समझा था मैं
बह्ज़ाद लखनवी
शे'र
उन को बुत समझा था या उन को ख़ुदा समझा था मैंहाँ बता दे ऐ जबीन-ए-शौक़ क्या समझा था मैं