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शे'र
सुरूर-ओ-कैफ़ का नग़्मा ग़म-ओ-अंदोह का नौहातिलिस्म-ए-ज़ीस्त की सरगम कभी कुछ है कभी कुछ है
अब्दुल हादी काविश
शे'र
जहाँ हैं महव-ए-नग़्मा बुलबुलें गुल जिस में ख़ंदाँ हैंउसी गुलशन में कल ज़ाग़-ओ-ज़ग़न का आशियाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
कहियो ऐ क़ासिद पयाम उस को कि तेरे हिज्र सेजाँ-ब-लब पहुँचा नहीं आता है तू याँ अब तलक
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
बेदम शाह वारसी
शे'र
बेदम शाह वारसी
शे'र
हुस्न-मह्व-ए-रंग-ओ-बू है इ’श्क़ ग़र्क़-ए-हाय-ओ-हूहर गुलिस्ताँ उस तरफ़ है हर बयाबाँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
शे'र
लैल-ओ-नहार चाहे अगर ख़ूब गुज़रे 'इ’श्क़'कर विर्द उस के नाम को तू सुब्ह-ओ-शाम का
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
'इश्क़ की आईना-दारी जज़्बा-ए-कामिल में हैवो मिरे दिल में है पहले से जो उन के दिल में है
निहाद संडेल्वी
शे'र
पहुँचा है जब से इ’श्क़ का मुझ को सलाम-ए-ख़ासदिल के नगीं पे तब से खुदाया है नाम-ए-ख़ास