परिणाम "paak-baaz"
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पाक-बाज़ी अपनी पैग़ाम-ए-तलब थी इश्क़ मेंधो के दाग़-ए-तोहमत-ए-हस्ती सफ़र दरकार था
ऐ क़ासिद-ए-अश्क़-ओ-पैक सबा उस तक न पयाम-ओ-ख़त पहुँचातुम क्या करो हाँ क़िस्मत का लिखा ये भी न हुआ वो भी न हुआ
जल्वे पिला रहे हैं जो 'क़ैसर' शराब-ए-इ’श्क़ऐ मर्द-ए-पाक-बाज़ तू घर में ख़ुदा के पी
मैं फ़िदा-ए-मुर्शिद-ए-पाक हूँ दर-ए-बारगाह की ख़ाक हूँवो समा के मुझ में ये कहते हैं कि 'अज़ीज़' ग़ैर-मुहाल है
बुझ रहे हैं चराग़ अश्कों केकैसे ताबिंद: रात की जाए
उस के होते ख़ुदी से पाक हूँ मैंख़ूब है बे-ख़ुदी नहीं जाती
जो कुछ भी ख़ुशी से होता है ये दिल का बोझ ना बन जाएपैमान-ए-वफ़ा भी रहने दो सब झूटी बातें होती हैं
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