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शे'र
हुआ आईना से इज़हार उन का रू-ए-ज़ेबा हैबना मुम्किन है वाजिब से जो शनवा है वो गोया है
हकीम मीर यासीन अली
शे'र
नूह का तूफ़ाँ तो कुछ दिन रह के आख़िर हो गयाऔर मिरी कश्ती अभी तक इश्क़ के दरिया में है
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
ख़ुदा का शुक्र है प्यासे को दरिया याद करता हैमुसाफ़िर ने फ़राहम कर लिया है कूच का सामाँ
नाज़ाँ शोलापुरी
शे'र
अर्श गयावी
शे'र
आज तो 'क़ैसर'-ए-हज़ीं ज़ीस्त की राह मिल गईआ के ख़याल-ओ-ख़्वाब में शक्ल दिखा गया कोई
क़ैसर शाह वारसी
शे'र
शम्स साबरी
शे'र
जुज़ तेरे नहीं ग़ैर को रह दिल के नगर मेंजब से कि तिरे इश्क़ का याँ नज़्म-ओ-नसक़ है