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शे'र
क़िस्मत जागे तो हम सोएँ क़िस्मत सोए तो हम जागेंदोनों ही को नींद आए जिसमें कब ऐसी रातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
शे'र
जल्वा-ए-हर-रोज़ जो हर सुब्ह की क़िस्मत में थाअब वो इक धुँदला सा ख़्वाब-ए-दोश है तेरे बग़ैर
सीमाब अकबराबादी
शे'र
विसाल-ए-यार जब होगा मिला देगी कभी क़िस्मततबीअ'त में तबीअ'त को दिल-ओ-जाँ में दिल-ओ-जाँ को
राक़िम देहलवी
शे'र
जुब्बः-साई जिस से की क़िस्मत चमक उठी 'रियाज़'हज़रत-ए-'साहिर' के दर से क्यूँ हमारा सर उठे
रियाज़ ख़ैराबादी
शे'र
मेरी आँख का तारा है आँसू मेरी क़िस्मत काक़िस्मत को मैं रोता हूँ क़िस्मत मुझ को रोती है
रियाज़ ख़ैराबादी
शे'र
सदा ही मेरी क़िस्मत जूँ सदा-ए-हल्क़ा-ए-दर हैअगर मैं घर में जाता हूँ तो वो बाहर निकलता है
अ’ब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शे'र
हम तल्ख़ी-ए-क़िस्मत से हैं तिश्ना-लब-ए-बादागर्दिश में है पैमाना पैमाने से क्या कहिए
सीमाब अकबराबादी
शे'र
सिवा क़िस्मत के दुनिया में नहीं कुछ मुतलक़न मिलतावगर्ना ज़ोर कर के आज़मा ले जिस का जी चाहे
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
नासेहो गर न सुनूँ मैं मिरी क़िस्मत का क़ुसूरतुम ने इरशाद किया जो कि है इरशाद का हक़