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शे'र
जल्वा-ए-हर-रोज़ जो हर सुब्ह की क़िस्मत में था
अब वो इक धुँदला सा ख़्वाब-ए-दोश है तेरे बग़ैर
सीमाब अकबराबादी
शे'र
कश्ती है सुकूँ की मौजों में इतना ही सहारा काफ़ी है
मेरे लिए तो ऐ जान-ए-जहाँ बस नाम तुमहारा काफ़ी है
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
शे'र
ख़ुदा शाहिद है इस शम्‘अ-ए-फ़रौज़ाँ की ज़िया तुम हो
मैं हरगिज़ ये नहीं कहता तुमहें मेरे ख़ुदा तुम हो
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
शे'र
ये राज़ की बातें हैं इस को समझे तो कोई क्यूँकर समझे
इंसान है पुतला हैरत का मजबूर भी है मुख़्तार भी है
अहक़र बिहारी
शे'र
ख़ुश नहीं इफ़शा-ए-राज़-ए-दिल-रुबा पेश-ए-उमूम
हातिफ़-ए-ग़ैबी मुझे इज़हार कहता है कि बोल
तुराब अली दकनी
शे'र
ये नर्म-ओ-नातवाँ मौजें ख़ुदी का राज़ क्या जानें
क़दम लेते हैं तूफ़ाँ अज़्मत-ए-साहिल समझते हैं
जिगर मुरादाबादी
शे'र
क़ैसर शाह वारसी
शे'र
क़ाबू में दिल-ए-नाकाम रहे राज़ी-ब-रज़ा इंसान रहे
हंगाम-ए-मुसीबत घबराना इक तर्ह की ये नादानी है
अहक़र बिहारी
शे'र
सूरत-परस्त-ओ-राज-परस्त-ओ-सनम-परस्त
मा'नी में देखिये तो सभी हैं ख़ुदा-परस्त
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
सूरत-परस्त-ओ-राज-परस्त-ओ-सनम-परस्त
मा'नी में देखिये तो सभी हैं ख़ुदा-परस्त
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
क्यों गुल-ए-आरिज़ पे तुमने ज़ुल्फ़ बिखराई नहीं
चश्मा-ए-ख़ुर्शीद में क्यों साँप लहराया नहीं