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शे'र
सदिक़ देहलवी
शे'र
रुख़ पे हर सूरत से रखना गुल-रुख़ाँ ख़त का है कुफ़्रदेखो क़ुरआँ पर न रखियो बोस्ताँ बहर-ए-ख़ुदा
शाह नसीर
शे'र
रुख़ पे हर सूरत से रखना गुल-रुख़ाँ ख़त का है कुफ़्रदेखो क़ुरआँ पर न रखियो बोस्ताँ बहर-ए-ख़ुदा
शाह नसीर
शे'र
कहीं रुख़ बदल न ले अब मिरी आरज़ू का धारावो बदल रहे हैं नज़रें मिरी ज़िंदगी बदल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
पी भी लूँ आँसू तो आख़िर रंग-ए-रुख़ को क्या करूँसोज़-ए-ग़म को क्या किसी उनवाँ छुपा सकता हूँ मैं
कामिल शत्तारी
शे'र
ये आदाब-ए-मोहब्बत है तिरे क़दमों पे सर रख दूँये तेरी इक अदा है फेर कर मुँह मुस्कुरा देना