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शे'र
नातिक़ लखनवी
शे'र
चमक उट्ठी है क़िस्मत एक ही सज्दः में क्या कहनालिए फिरता है पेशानी पे नक़्श-ए-आस्ताँ कोई
अफ़क़र मोहानी
शे'र
अज़ल से है आसमाँ ख़मीदा न कर सका फिर भी एक सजदावो ढूँढता है जिस आस्ताँ को वो आस्ताना मिला नहीं है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
सीमाब अकबराबादी
शे'र
करे चारों तरफ़ से क्यूँ न उस को आसमाँ सजदेज़मीं को फ़ख़्र हासिल है रसूलल्लाह की मरक़द का
शाह अकबर दानापूरी
शे'र
कहियो ऐ क़ासिद पयाम उस को कि तेरे हिज्र सेजाँ-ब-लब पहुँचा नहीं आता है तू याँ अब तलक
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़