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शे'र
नातिक़ लखनवी
शे'र
चमक उट्ठी है क़िस्मत एक ही सज्दः में क्या कहनालिए फिरता है पेशानी पे नक़्श-ए-आस्ताँ कोई
अफ़क़र मोहानी
शे'र
सीमाब अकबराबादी
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
जाते जाते अर्सा-ए-गाह-ए-हश्र तक जो हाल होउठते उठते क़ब्र में सौ फ़ित्ना-ए-महशर उठे