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शे'र
बेशक ख़ुदा बने जो ‘फ़ना’ तोड़े अब्दियतख़ुद-बीनियों का अपनी जो पाया शिकस्त हो
सुलेमान शिकोह गार्डनर
शे'र
क्या ग़म जो टूट जाएँ जिगर, जाँ, कलेजा, दिलपर तेरी चाह की न तमन्ना शिकस्त हो
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बेशक ख़ुदा बने जो ‘फ़ना’ तोड़े अब्दियतख़ुद-बीनियों का अपनी जो पाया शिकस्त हो
क्या ग़म जो टूट जाएँ जिगर, जाँ, कलेजा, दिलपर तेरी चाह की न तमन्ना शिकस्त हो