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हर आँख की तिल में है ख़ुदाई का तमाशाहर ग़ुन्चा में गुलशन है हर इक ज़र्रा में सहरा
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
शे'र
इ’श्क़ ने तोड़ी सर पे क़यामत ज़ोर-ए-क़यामत क्या कहिएसुनने वाला कोई नहीं रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए
जिगर मुरादाबादी
शे'र
वो सर और ग़ैर के दर पर झुके तौबा मआ'ज़-अल्लाहकि जिस सर की रसाई तेरे संग-ए-आस्ताँ तक है
बेदम शाह वारसी
शे'र
जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुमक्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो ऐ यारो इक नाशाद सती
ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद
शे'र
जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुमक्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो ऐ यारो इक नाशाद सती
ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद
शे'र
बाग़ से दौर-ए-ख़िज़ाँ सर जो टपकता निकलाक़ल्ब-ए-बुलबुल ने ये जाना मेरा काँटा निकला
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
बाग़ से दौर-ए-ख़िज़ाँ सर जो टपकता निकलाक़ल्ब-ए-बुलबुल ने ये जाना मेरा काँटा निकला
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
अदब से सर झुका कर क़ासिद उस के रू-ब-रू जानानिहायत शौक़ से कहना पयाम आहिस्ता आहिस्ता
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
बेदम शाह वारसी
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
बेदम शाह वारसी
शे'र
इ’श्क़ में तेरे कोह-ए-ग़म सर पे लिया जो हो सो होऐ’श-ओ-निशात-ए-ज़िंदगी छोड़ दिया जो हो सो हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
इ'श्क़ में तेरे कोह-ए-ग़म सर पे लिया जो हो सो होऐश-ओ-निशात-ए-ज़िंदगी छोड़ दिया जो हो सो हो