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शे'र
मेरी आँख बंद थी जब तलक वो नज़र में नूर-ए-जमाल थाखुली आँख तो ना ख़बर रही कि वो ख़्वाब था कि ख़्याल था
बहादुर शाह ज़फ़र
शे'र
वो कि इक मुद्दत तलक जिस को भला कहता रहाआह अब किस मुँह से ज़िक्र उस की बुराई का करूँ
एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
शे'र
तुम आए रौशनी फैली हुआ दिन खुल गईं आँखेंअँधेरा सा अँधेरा छा रहा था बज़्म-ए-इम्काँ में
हसन रज़ा बरेलवी
शे'र
उस के कूचे में कहाँ कशमकश-ए-बीम-ओ-रजाख़ौफ़-ए-दोज़ख़ भी नहीं ख़्वाहिश-ए-जन्नत भी नहीं
आसी गाज़ीपुरी
शे'र
सदिक़ देहलवी
शे'र
हसरत-ओ-यास-ओ-आरज़ू शौक़ का इक़्तिदा करेंकुश्ता-ए-ग़म की लाश पर धूम से हो नमाज़-ए-इ’श्क़
बेदम शाह वारसी
शे'र
आरज़ू लाज़िम है वज्ह-ए-आरज़ू हो या न होइल्तिफ़ात उस काफ़िर-ए-ख़ुद-बीं की ख़ूँ हो या न हो