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शे'र
कहीं है आँख आ’शिक़ की कहीं दीदार-ए-जानाँ हैबहार-ए-हुस्न-इ-ताबाँ में तू ही तू है तू ही तू है
चौधरी दल्लू राम
शे'र
अब तो मैं राहरव-मुल्क-ए-अ’दम होता हूँतिरा हर हाल में हाफ़िज़ है ख़ुदा मेरे बा’द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
शे'र
मोहब्बत जब हुई ग़ालिब नहीं छुपती छुपाने सेफुग़ान-ओ-आह-ओ-नाला है तिरे आ’शिक़ का नक़्क़ारा
शाह तुराब अली क़लंदर
शे'र
ऐ जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मनदीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ
अहमद रज़ा ख़ान
शे'र
मुरीद-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना हुए क़िस्मत से ऐ नासेहन झाड़ें शौक़ में पलकों से हम क्यूँ सहन-ए-मय-ख़ाना