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शे'र
दु’आ कह कर चला बंदा सलाम आ कर करेगा फिरख़त आवे जब तलक तो बंदगी से ख़ूब जाता है
एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
शे'र
अब तो मैं राहरव-मुल्क-ए-अ’दम होता हूँतिरा हर हाल में हाफ़िज़ है ख़ुदा मेरे बा’द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
शे'र
लफ़्ज़-ए-उल्फ़त की मुकम्मल शर्ह इक तेरा वजूदआ'शिक़ी में तोड़ डालीं ज़ाहिरी सारी क़ुयूद
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
हरे कपड़े पहन कर फिर न जाना यार गुलशन मेंगुलू-ए-शाख़-ए-गुल से ख़ून टपकेगा शहादत का
मोहम्मद अकबर वार्सी
शे'र
पहुँचा है जब से इ’श्क़ का मुझ को सलाम-ए-ख़ासदिल के नगीं पे तब से खुदाया है नाम-ए-ख़ास
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
गुनाह करता है बरमला तू किसी से करता नहीं हया तूख़ुदा को क्या मुंह दिखाएगा तू ज़रा ऐ बे-हया हया कर
फ़क़ीर मोहम्मद गोया
शे'र
गुनाह करता है बरमला तू किसी से करता नहीं हया तूख़ुदा को क्या मुंह दिखाएगा तू ज़रा ऐ बे-हया हया कर
फ़क़ीर मोहम्मद गोया
शे'र
तुझ से मिलने का बता फिर कौन सा दिन आएगाई’द को भी मुझ से गर ऐ मेरी जाँ मिलता नहीं