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शे'र
बढ़ के तूफ़ाँ में सहारा मौज-ए-तूफ़ाँ क्यूँ न देमेरी कश्ती का ख़ुदा है ना-ख़ुदा कोई नहीं
पुरनम इलाहाबादी
शे'र
ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-अय्याम के साँचे में ढलता हैकि इक ग़म दूसरे का चारागर है हम न कहते थे
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-अय्याम के साँचे में ढलता हैकि इक ग़म दूसरे का चारागर है हम न कहते थे
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
तुझी से नक़्श-ए-नाकामी में हैं उम्मीद के जल्वेशब-ए-ग़म है क़ज़ा के भेस में मेरा मसीहा तू
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
बेदम शाह वारसी
शे'र
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों परदम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
बेदम शाह वारसी
शे'र
बला के रंज-ओ-ग़म दरपेश हैं राह-ए-मोहब्बत मेंहमारी मंज़िल-ए-दिल तक हमें अल्लाह पहुँचाए
सदिक़ देहलवी
शे'र
लगा दी आग उन के शो'ला-ए-आरिज़ ने गुलशन मेंज़र-ए-गुल बन गईं चिंगारियाँ फूलों के दामन में
हसन इमाम वारसी
शे'र
गुलज़ार में दुनिया के हूँ जो नख़्ल-ए-भुचम्पाख़्वाहिश न समर की न मियाँ ख़ौफ़ क़हर का
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
मैं हाथ में हूँ बाद के मानिंद पर-ए-काहपाबंद न घर का हूँ न मुश्ताक़ सफ़र का