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शे'र
सजा कर लख़्त-ए-दिल से कश्ती-ए-चश्म-ए-तमन्ना कोचला हूँ बारगाह-ए-इ’श्क़ में ले कर ये नज़्राना
बेदम शाह वारसी
शे'र
तिरे हाथ मेरी फ़ना बक़ा तिरे हाथ मेरी सज़ा जज़ामुझे नाज़ है कि तिरे सिवा कोई और मेरा ख़ुदा नहीं
कामिल शत्तारी
शे'र
ख़ुशी से चोट खाने का मज़ा या कैफ़-ए-जाँ-सोज़ीकोई जाँ-सोज़ परवाना या कोई दिल-जला जाने
बेख़ुद सुहरावरदी
शे'र
ख़ुद-साज़ी में मसरूफ़-ए-ख़ुदाई है 'सुलैमाँ'दुनिया में कोई मर्द-ए-ख़ुदा-साज़ कहाँ है
सुलैमान वारसी
शे'र
चारों-सम्त अंधेरा फैला ऐसे में क्या रस्ता सूझेपर्बत सर पर टूट रहे हैं पाँव में दरिया बहता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
अपने हाथों मेहंदी लगाई माँग भी मैं ने देखो सजाईआए पिया घर रिम-झिम बरसे जाओ बता दो सावन को
अब्दुल हादी काविश
शे'र
जहाँ में ख़ाना-ज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ को क्या छोड़ देते हैंकि तुम ने छोड़ रखा मुझ असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ को
राक़िम देहलवी
शे'र
साँस में आवाज़-ए-नय है दिल ग़ज़ल-ख़्वाँ है 'ज़हीन'शायद आने को है वो जान-ए-बहाराँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
शे'र
जहाँ हैं महव-ए-नग़्मा बुलबुलें गुल जिस में ख़ंदाँ हैंउसी गुलशन में कल ज़ाग़-ओ-ज़ग़न का आशियाँ होगा