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शे'र
जहान-ए-बे-ख़ुदी में मस्ती-ए-वहदत जो ले जायेफ़रिश्ते लें क़दम मेरे वो हूँ मैं रिंद-ए-मस्तान:
इब्राहीम आजिज़
शे'र
मक़्दूर क्या जो कह सुकूँ कुछ रम्ज़-ए-इ’श्क़ कोजूँ शम्अ' हूँ अगरचे सरापा ज़बान-ए-इ’श्क़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
जोई अव्वल सोई आख़िर जोई ज़ाहिर सोई बातिनख़ुदी के तर्क में जल्दी से मख़्फ़ी सब अ'याँ होगा
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
जल्वा-ए-हर-रोज़ जो हर सुब्ह की क़िस्मत में थाअब वो इक धुँदला सा ख़्वाब-ए-दोश है तेरे बग़ैर
सीमाब अकबराबादी
शे'र
किया जो मुझ तरफ़ गुल-रू नज़र आहिस्ता आहिस्तावो पहुँची बुलबुल-ए-दिल कूँ ख़बर आहिस्ता आहिस्ता
तुराब अली दकनी
शे'र
जो अ’ज़्म-ए-क़त्ल है आँखों पे पट्टी बाँध ली क़ातिलमबादा तुझ को रहम आ जाए मेरी ना-तवानी पर
कौसर ख़ैराबादी
शे'र
फ़क़ीर-ए-‘कादरी’ जो देखते हैं चश्म-ए-बीना सेतो बंदे को ख़ुदा कहने की जुर्अत आ ही जाती है