परिणाम "अंधेरा"
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कभी तो छटेगा फ़ज़ा से अंधेरा कभी तो मधुर चाँदनी रात होगीकभी तो जलेंगे चराग़-ए-मोहब्बत उसी रोज़ उन से मुलाक़ात होगी
ब-सद नाज़-ओ-अदा गेसू बिखेरोअंधेरा हर तरफ़ छाए तुम्हें क्या
उन की ज़ुल्फ़-ए-बरहम में ’आरिज़ों को क्या देखूँचाँद पास है लेकिन दूर तक अंधेरा है
ऐ अजल जल्द ख़बर ले कि डराता है मुझेदेव बन बन के अंधेरा शब-ए-तन्हाई का
दिल-ए-कुफ़्फ़ार उसी से किए अल्लाह ने ख़ल्क़बच रहा कुछ जो अंधेरा शब-ए-तन्हाई का
जित्थे हू करे रौशनाई छोड़ अंधेरा वैंदा हूमैं क़ुर्बान तिनाँ तोंं 'बाहू' जो हू सहीह करेंदा हू
बिजली दो चार क़दम चल के पलट जाए न क्यूँवो अंधेरा है कि फिरता है भटकता बादल
आशोब-ए-जुदाई क्या कहिए अनहोनी बातें होती हैंआँखों में अंधेरा छाता है जब उजयाली रातें होती हैं
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