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कलाम
आईना बनता है रगड़े लाख जब खाता है दिलकुछ न पूछो दिल बड़ी मुश्किल से बन पाता है दिल
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
रूप उस के नित-नए और आईना-ख़ाने हज़ारमुस्तक़िल सिर्फ़ इक हक़ीक़त उस के अफ़्साने हज़ार
कामिल शत्तारी
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है
शकील बदायूँनी
कलाम
जुनूँ वज्ह-ए-शिकस्त-ए-रंग-ए-महफ़िल होता जाता हैज़माना अपने मुस्तक़बिल में दाख़िल होता जाता है