आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ख़याल-ए-वस्ल"
Kalaam के संबंधित परिणाम "ख़याल-ए-वस्ल"
कलाम
आरज़ू-ए-वस्ल-ए-जानाँ में सहर होने लगीज़िंदगी मानिंद-ए-शम्अ' मुख़्तसर होने लगी
ग़ुलाम मोईनुद्दीन गिलानी
कलाम
ख़याल-ए-वस्ल-ए-जानाँ ताले'-ए-बेदार दुश्मन हैमिरी आँखों तक आते आते वो ख़्वाब-ए-गिराँ क्यूँ हो
बेदम शाह वारसी
कलाम
तालिब-ए-वस्ल-ए-यार हूँ शौक़-ए-जिगर को क्या करूँहिज्र से बे-क़रार हूँ सूद-ओ-ज़रर को क्या करूँ
अज्ञात
कलाम
हम वस्ल में ऐसे खोए गए फ़ुर्क़त का ज़माना भूल गएसाहिल की ख़ुशी में मौजों का तूफ़ान उठाना भूल गए
कामिल शत्तारी
कलाम
वस्ल है पर दिल में अब तक ज़ौक़-ए-ग़म पेचीदा हैबुलबुला है ऐ'न दरिया में मगर नम-दीदा है