परिणाम "छत"
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धूप को ओस को ना-हक़ है तकल्लुफ़ आएँकौन रोकेगा उन्हें घर में मिरे छत ही नहीं
आतिश-ए-गुल का धुआँ बाम-ए-फ़लक पर पहुँचाजम गया मंज़िल-ए-ख़ुर्शीद की छत में काजल
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँदअपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद
ढूँढना है उस को ऐ ज़ाहिद तो अपने दिल में ढूँडछत में का'बे की न वो का'बे की दीवारों में है
नब्ज़ साक़ित ही हुई आँखें भी हैं छत से लगीं है दम-ए-बाज़-पसींज़िंदगी के मरे अब कोई भी आसार नहीं यूँ तो क़ादिर है ख़ुदा
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