परिणाम "तवक़्क़ो"
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आप से क्या कोई तवक़्क़ो' होआप कब मेहरबान होते हैं
जब तवक़्क़ो ही उठ गई 'ग़ालिब'क्यूँ किसी का गिला करे कोई
जब तवक़्क़ो' उठ गई मख़्लूक़ सेमुझ पे फ़ज़्ल-ए-ख़ालिक़-ए-अकबर हुआ
ये तवक़्क़ो' न थी मुझे तुझ सूँबे-सबब क्यूँ तू लड़ चला रे सजन
'नसीर' जिन से तवक़्क़ो' थी साथ देने कीतुले हैं मुझ पे वही उँगलियाँ उठाने को
मुद्दतों से यही 'आलम न तवक़्क़ो' न उमीददिल पुकारे ही चला जाता है जानाँ-जानाँ
वाए गर मेरा तिरा इंसाफ़ महशर में न होअब तलक तो ये तवक़्क़ो' थी कि वाँ हो जाएगा
हुई जिन से तवक़्क़ो' ख़स्तगी की दाद पाने कीवो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले
वफ़ाओं की हम से तवक़्क़ो' नहीं है मगर एक बार आज़मा कर तो देखोज़माने को अपना बना कर तो देखा हमें भी तुम अपना बना कर तो देखो
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