परिणाम "दीदार-ए-यार"
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ग़फ़लत न थी तसव्वुर-ए-दीदार-ए-यार थानज़्ज़ारा-ए-जमाल में गुम इंतिज़ार था
दीदार-ए-यार हो गया 'सौदा-गर' अब नसीबआती नज़र है सूरत-ए-'सौदा-गर' हर तरफ़
है सुब्ह-ए-हश्र धूम है दीदार-ए-यार कीऔर मुझ पे कैफ़ियत है वही इंतिज़ार की
आज फिर तक़दीर चमकी तालिब-ए-दीदार कीफिर हुईं पुर-नूर आँखें रौज़न-ए-दीवार की
दीदार-ए-यार का न उठेगा मज़ा 'अमीर'जब तक दुई का पर्दा उठाया न जाएगा
असीर-ए-हल्क़ा-ए-गेसू-ए-यार हम भी हैंकिसी के तीर-ए-नज़र के शिकार हम भी हैं
आबाद हूँ मैं ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजीता हूँ ज़र्रे ज़र्रे में दीदार देख कर
क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर
तमाम उ'म्र कुछ ऐसे ख़याल-ए-यार रहाकि बा'द-ए-मर्ग भी हर ज़र्रा बे-क़रार रहा
मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब मेंकाफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अज़ाब में
मर रहा हूँ मैं ख़याल-ए-यार मेंहसरतें हैं सौ दिल-ए-बीमार में
ये ख़ुमार-ए-नींद क्या है शब-ए-वस्ल यार जागोमिरी जाँ है तुम पे सदक़े मिरे जाँ-निसार जागो
नोक-ए-मिज़ा-ए-यार है नश्तर के बराबरख़ूँ-रेज़ी में अबरू भी है ख़ंजर के बराबर
ज़िंदगी संग-ए-दर-ए-यार से आगे न बढ़ी'आशिक़ी मतला'-ए-दीदार से आगे न बढ़ी
तालिब-ए-वस्ल-ए-यार हूँ शौक़-ए-जिगर को क्या करूँहिज्र से बे-क़रार हूँ सूद-ओ-ज़रर को क्या करूँ
यार की गलियों में क्यूँ कर यार जाना छोड़ देकिस तरह बुलबुल चमन से आशियाना छोड़ दे
ऐ तेग़-ए-यार मिल के गले से जुदा न होअब रूठने का वक़्त नहीं है ख़फ़ा न हो
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
जब तीर-ए-नज़र दिल पे मिरे यार ने मारारग रग से सदा आई मुझे प्यार ने मारा
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गयाजैसे ख़ुश-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-बहार आ गई जैसे पैग़ाम-ए-दीदार-ए-यार आ गया
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