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कलाम
फ़ना होना मोहब्बत में हयात-ए-जावेदानी हैकिसी क़ातिल पे दम निकले तो लुत्फ़-ए-ज़िंदगानी है
फ़ना लखनवी
कलाम
क़मर जलालवी
कलाम
परस्तार-ए-मोहब्बत को ख़याल-ए-मा-सिवा क्यूँ होख़ुशी भी तेरे मिलने की शरीक मुद्दआ' क्यूँ हो
माहिरुल क़ादरी
कलाम
इलाही क्या करें ज़ब्त-ए-मोहब्बत हम तो मरते हैंये नाले तीर बन-बन कर कलेजे में उतरते हैं
दाग़ देहलवी
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
माहिरुल क़ादरी
कलाम
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
कहाँ हो तुम चले आओ मोहब्बत का तक़ाज़ा हैग़म-ए-दुनिया से घबरा कर तुम्हें दिल ने पुकारा है
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
दास्ताँ इ'श्क़-ओ-मोहब्बत की किताबों में नहींजो नश्शा आँख में तेरी है शराबों में नहीं