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कलाम
ग़ुंच-सा लब बंद है शोर-ए-‘अनादिल दिल में हैलब पे है मोहर-ए-सुकूत इक शोर बरपा दिल में है
ख़्वाजा हमीदुद्दीन अहमद
कलाम
जंगल दे विच शेर मरेला बाज़ पवे विच घर दे हूइश्क़ जिन्हाँ सर्राफ़ न कोई खोट न छड्डे ज़र दे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है
शकील बदायूँनी
कलाम
जुनूँ वज्ह-ए-शिकस्त-ए-रंग-ए-महफ़िल होता जाता हैज़माना अपने मुस्तक़बिल में दाख़िल होता जाता है
सीमाब अकबराबादी
कलाम
सहबा अकबराबादी
कलाम
अल्लामा इक़बाल
कलाम
दिल जिगर को आश्ना-ए-दर्द-ए-उल्फ़त कर दियाइक निगाह-ए-नाज़ ने सामान-ए-राहत कर दिया