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कलाम
जंगल दे विच शेर मरेला बाज़ पवे विच घर दे हूइश्क़ जिन्हाँ सर्राफ़ न कोई खोट न छड्डे ज़र दे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
ताबिश कानपुरी
कलाम
दिया होता किसी को दिल तो होती क़द्र भी दिल कीहक़ीक़त पोछिए जा कर किसी बिस्मिल से बिस्मिल की
अज्ञात
कलाम
दिल दिलीर करे अचु आशिक, सुस्त यकीन न थीउ तू।टोड़े शक गुमान सभेई, प्रेमी प्यालो पीउ तू।
सचल सरमस्त
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
तिरा क्या काम अब दिल में ग़म-ए-जानाना आता हैनिकल ऐ सब्र इस घर से कि साहिब-ख़ाना आता है
अमीर मीनाई
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
कलेजा थाम कर जब दिल दुखे फ़रियाद करते हैंबुतान-ए-संग-दिल उस दम ख़ुदा को याद करते हैं
जलील मानिकपुरी
कलाम
शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गयासारी उमीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया