परिणाम "समर"
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आह-ए-शरर-फ़शाँ में हमारी असर नहींफूला हुआ दरख़्त है लेकिन समर नहीं
जोबन मिरी आँखों में फिरा गुल-बदनों कागदराए हुए बाग़ में देखे जो समर भी
बेल में बूटे में पत्ते में समर में ब-ख़ुदाकहीं गुल और कहीं गुलज़ार बने बैठे हैं
या-रब ये ख़्वाब है कि मिरी शाम का नसीबघूँघट में वो समर की किरन ले के आए हैं
औज-ए-रिफ़'अत का क़मर नख़्ल-ए-दो-'आलम का समरबहर-ए-वहदत का गुहर चश्मा-ए-कस्रत का कँवल
मैं हमेशः असीर-ए-अलम ही रहा मिरे दिल में सदा तेरा ग़म ही रहामिरा नख़्ल-ए-उम्मीद क़लम ही रहा मेरे रोने का कोई समर न मिला
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