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बे-निशाँ और बा-निशाँ हूँ मैंकहीं बातिन कहीं अ'याँ हूँ मैं
जल्वा ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ नज़र देखते रहेक्या देखते हम उन को मगर देखते रहे
हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा हैउस से मेरा मह-ए-ख़ुर्शीद-जमाल अच्छा है
जहाँ अगरचे दिगर-गूँ है क़ुम-बि-इज़्निल़्लाहवही ज़मीं वही गर्दूं है क़ुम-बि-इज़्निल़्लाह
ब-ज़ाहिर कहीं ग़ुंचा-ए-दिल से मिला थाकल उस का गरेबाँ-ओ-दस्त-ए-क़ज़ा था
जहान-ए-ग़म में जिसे बे-क़रार देखा हैअसीर-ए-कश्मकश-ए-इंतिज़ार देखा है
मक़ाम-ए-वस्ल में बे-ताब हूँ क़रार नहींतड़प रहा हूँ किसी का भी इंतिज़ार नहीं
करम साक़ी-ए-कौसर जो ब-दस्तूर रहेचश्म-ए-मय-कश में ख़ुमार-ए-मय-ए-मंसूर रहे
बे-गाना-ए-इ’रफ़ाँ को हक़ीक़त की ख़बर क्याजो आप से वाक़िफ़ न हो वो अहल-ए-नज़र क्या
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करेनियाज़-मंद न क्यूँ आजिज़ी पे नाज़ करे
वही मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ीमिरे काम कुछ न आया ये कमाल-ए-नै-नवाज़ी
बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबानाआ दिल में तुझे रख लूँ ऐ जल्वा-ए-जानाना
हुई हुस्न-ओ-'इश्क़ में जब ब-हम उन्स-ओ-आश्नाईकहा जब किसी ने मज्नूँ वहीं लैला याद आई
आईना-ए-नज़र को मैं रू-ब-रू रक्खा हूँजो देखता है मुझ को मैं उस को देखता हूँ
दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाएक्या हुई ज़ालिम तिरी ग़फ़लत-शिआरी हाए हाए
अ'दम से आई है निस्बत क़दम क़दम ब-क़दमख़ुदा ने कह लिया ख़ुद को सनम सनम ब-सनम
तू अगर बे-नक़ाब हो जाएज़िंदगानी शराब हो जाए
दिल बे-क़रार है मिरे दिल को क़रार देअपना बना के तू मिरी दुनिया सँवार दे
ये ज़िद है आज उन्हें बे-नक़ाब देखेंगेउन्हें खुली हुई आँखों से ख़्वाब देखेंगे
यह क्या राज़ है साक़ी-ए-मस्त-ओ-बे-ख़ुद यह क्यूँ तू ने नज़र-ए-इनायत हटा लीवही मय-कदा है मगर सूना सूना वही जाम-ओ-मीना मगर ख़ाली ख़ाली
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