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कलाम
आक़िल रेवाड्वी
कलाम
फिरे ज़माना में चार जानिब निगार-ए-यकता तुम ही को देखाहसीन देखे जमील देखे व-लेक तुम सा तुम ही को देखा
अज्ञात
कलाम
फिरा ज़माना में चार जानिब सनम सरापा तुम्हीं को देखाहसीन देखे जमील देखे पर एक तुम सा तुम्हीं को देखा
अज्ञात
कलाम
फिरे ज़माने में चार जानिब निगार यकता तुम्हीं को देखाहसीन देखा जमील देखा व-लेक तुम सा तुम्हीं को देखा
अज्ञात
कलाम
चार दिन की फ़क़त चाँदनी है चाँदनी का भरोसा नहीं हैइस लिए हूँ अँधेरों का शैदा रौशनी का भरोसा नहीं है
अज्ञात
कलाम
शकील बदायूँनी
कलाम
ज़ख़्म पर ज़ख़्म दिए दर्द से दिल चूर कियाग़म-ए-उल्फ़त से मेरे सीने को मा'मूर किया
क़ैसर रत्नागीरवी
कलाम
मिले क्या तीर हर-हर ज़ख़्म में है चूर ऐ क़ातिलअजल के होश गुम होते हैं तेरे दिल-फ़िगारों में
दाग़ देहलवी
कलाम
लग गया नागाह उस पर ये तिरा तीर-ए-निगाहदिल का शीशा जो बग़ल में हम ने देखा चूर था