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कलाम
हुस्न-ए-मुत्लक़ का अज़ल के दिन से मैं दीवाना थाला-मकाँ कहते हैं जिस को वो मिरा काशाना था
अमीर मीनाई
कलाम
दुनिया है ये अंदाज़-ए-शबिस्ताँ कोई दिन औरअच्छा तो फिर इक ख़्वाब-ए-परेशाँ कोई दिन और
सीमाब अकबराबादी
कलाम
फ़रेब-ए-आगही से वज्द में है राज़-दाँ मेराकि जैसे उस के दिल की चोट है दर्द-ए-निहाँ मेरा
सीमाब अकबराबादी
कलाम
दो दिन की तन-आसानी के लिए तक़दीर का शिकवा कौन करेरहना ही नहीं जब दुनिया में दुनिया की तमन्ना कौन करे
शाह महमूदुल हसन
कलाम
नाला-ए-दिल लब से जिस दिन आश्ना हो जाएगादेख लेना तुम कि 'आलम क्या से क्या हो जाएगा
अब्दुल क़ादिर शरफ़
कलाम
वारिस शाह
कलाम
चार दिन की फ़क़त चाँदनी है चाँदनी का भरोसा नहीं हैइस लिए हूँ अँधेरों का शैदा रौशनी का भरोसा नहीं है