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कलाम
शक्ल आँखों में मिरी जल्वा-नुमा किस की है
पर्दा-ए-दिल से जो निकली ये सदा किस की है
मिर्ज़ा अश्क लखनवी
कलाम
इ'श्क़ ने आग लगाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लगाई
देत हूँ राम दोहाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लागई
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
ख़ुदा महफ़ूज़ रखे 'इश्क़ के जज़्बात-ए-कामिल से
ज़मीं गर्दूं से टकराई जहाँ दिल मिल गया दिल से
अज़ीज़ मेरठी
कलाम
अल्लाह सहीह कीतोसे जिस दम चमकया इश्क़ अगोहाँ हू
रात दिहाँ दे ता तिखेरे करे अगोहाँ सोहाँ हू
सुल्तान बाहू
कलाम
आशिक़ इश्क़ माही दे कोलों फिरन हमेशा खीवे हू
जींदे जान माही नूँ डित्ती दोहीं जहानीं जीवे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
उस के चेहरे पे ख़ुदा जाने ये कैसा नूर था
वर्ना ये दीवानगी कब इ'श्क़ का दस्तूर था
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
कलाम
आशिक़ हो ते इश्क़ कमा दिल रक्खीं वांग पहाड़ाँ हू
सै सै बदियाँ लक्ख उलाहमें, जाणीं बाग़-बहाराँ हू