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कलाम
फ़ना का जाम ऐ साक़ी मैं पी-पी लूँ तू भर-भर देबक़ा की मय से आँखें मिस्ल-ए-नर्गिस-ए-मस्त कर-कर दे
अलाउद्दीन जलाली
कलाम
ऐ दिल-ए-पुर-सुरूर-ए-मन नाज़ न बन नियाज़ बनसाक़ी-ए-मस्त-ए-नाज़ की आँखों में सरफ़राज़ बन
शाह मोहसिन दानापुरी
कलाम
ऐ यार न मुझ से मुँह को छुपा तू और नहीं मैं और नहींहै शक्ल तेरी मेरा नक़्शा तू और नहीं मैं और नहीं
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
बुतान-ए-माह-वश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैंकि जिस की जान जाती है उसी के दिल में रहते हैं
दाग़ देहलवी
कलाम
हया बदायूँनी
कलाम
नौमान नय्यर कलाचवी
कलाम
न मैं आलिम न मैं फ़ाज़िल न मुफ़्ती न क़ाज़ी हूना दिल मेरा दोज़ख़ ते ना शौक़ बहिश्ती राज़ी हू