परिणाम "sabaat"
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साबित सिदक़ क़दम अगेरे ताईं रब्ब लुभीवे हूलूँ लूँ दे विच ज़िकर अल्लाह दा हर-दम पया पढीवे हू
दुनिया-ए-बे-सबात में क्या हो हमें सबातजिस घर में हम मुक़ीम वो घर ही सफ़र में है
हस्ती-कम-सबात भी आख़ीर-कार कुछ तो हैमान लिया कि कुछ नहीं हस्ती-कम-सबात में
जूँ ग़ुंच सर-ब-जैब हो बैरंगी की तरफ़क्या ए'तिबार उस चमन-ए-बे-सबात का
हूँ कुश्ता-ए-तग़ाफ़ुल-ए-हस्ती-ए-बे-सबातख़ातिर से कौन कौन न उस ने भुला दिए
एक बात है सबात-ए-जहाँ मेरे नुत्क़ सेगोया है भेद गंज-ए-ख़फ़ी का वहाँ मिरा
क्या बे-सबात-ए-बाग़ था गुल हो गए हवाजब तक करूँ मैं चाक गरेबाँ बहार में
हस्ती ब-जुज़ फ़ना-ए-मुसलसल के कुछ नहींफिर किस लिए ये फ़िक्र क़रार-ओ-सबात है
है ज़िंदगी बे-सबात ऐसी हबाब की हो नुमूद जैसीबस ऐसे जीने की ऐसी तैसी इधर तो उभरा उधर फ़ना है
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