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Sufinama

बंदे देख ले दरहाल वे ।

गरीब दास

बंदे देख ले दरहाल वे ।

गरीब दास

MORE BYगरीब दास

    बंदे देख ले दरहाल वे

    सुन्न मंडल सैल करले, अजब गैबी ख्याल वे ।।

    जबरूत पर नासूत है, नासूत पर मलकूत वे

    मलकूत पर लाहूत है, लाहूत पर अनभूत वे ।।

    सुन ले सोहंसो जाप कूँ, सुन में सिलहरा बाँध वे

    सेस के सिर ध्यान धरिये, उलट स्वर कूँ साध वे ।।

    तीन मूरत निरख निःचल, पैठ देख पताल वे

    मूल चक्र गनेस गैबी, रंग रूप बिसाल वे ।।

    दंड-धारी भुजा भारी, मुकूट की छवि खूब वे

    अगमी अनाहद अदल है, फजली फजल महबूब वे।।

    टुक उलट चसमैं सिंध में, झलकै जलाबिंब जोर वे

    अजब रास बिलास बानी, चंद सूर करोर वे ।।

    हलका भारी है मुरारी, अजब नूरी नैन वे।

    दिल मगज अंदर महल है, तूँ समझ ले यह सैन वे ।।

    इक गुमठ अटल अनाद है, ढुरते सुहंगम चौंर वे

    सेत छत्तर सीस सोहै, अजब उज्जल भौंर वे ।।

    अजब नूर जहूर जोती, झिलमिलै झलकत वे

    हाजिर गुलाम गरीब है, जहँ देख आदि अंत वे ।।

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