Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

ख़ानक़ाह मनेर शरीफ़

शाह तारिक़ फ़िरदौसी

ख़ानक़ाह मनेर शरीफ़

शाह तारिक़ फ़िरदौसी

MORE BYशाह तारिक़ फ़िरदौसी

    मरकज़ इर्शाद-ए-हक़ ला रै-ब फ़ीह

    ख़ानक़ाह-ए-हज़रत-ए-ताज-ए-फ़क़ीह

    छठी सदी हिजरी में हुज़ूर नबी-ए-अकरम मोहम्मद सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम से बशारत पा कर हज़रत इमाम मोहम्मद ताज फ़क़ीह बैतुल मुक़द्दस के क़ुद्सुल-ख़लील से बिहार के क़सबा मनेर में अपने अहल-ओ-अ’याल के साथ तशरीफ़ लाए। इमाम मोहम्मद ताज फ़क़ीह ने 576 हिजरी मुताबिक़ 1180 ई0 में ख़ानक़ाह मनेर शरीफ़ की बुनियाद डाली। यही वह अव्वालीन जगह है जहाँ से पूरे बिहार में तसव्वुफ़ की किरणें फूटीं और फिर दूर दराज़ इ’लाक़ों तक इसकी रौशनी फैली।जिसे मुख़्तलिफ़ औलिया और सूफ़िया का मस्कन होने का शरफ़ हासिल है। जिसकी शोहरत सुन कर मुल्क और मुल्क के बाहर के भी बहुत से नामी गिरमी लोग, सूफ़िया, मशाएख़, उ’लमा, बादशाह आए और इसकी ख़ाक में आसूदा हो गए।

    इमाम मोहम्मद ताज फ़क़ीह के तीन साहिबज़ादे हुए। बड़े साहिबज़ादे हज़रत मख़्दूम इस्राईल मनेरी दुसरे हज़रत मख़्दूम इस्माईल मनेरी और छोटे साहिबज़ादे हज़रत मख़्दूम अ’ब्दुल अ’ज़ीज़ और एक साहिबज़ादी हुईं। हज़रत मख़्दूम इस्राईल मनेरी के बड़े साहिबज़ादे हज़रत सुल्तानुल-मख़्दूम शैख़ कमालुद्दीन अहम यहया मनेरी हैं। आपकी विलादत-ए-बा-सआ’दत 570 हिजरी मुताबिक़ 1174 ई0 में बैतूल मुक़द्दस के मोहल्ला क़ुद्सूल-ख़लील में हुई। आपकी इब्तिदाई ता’लीम-ओ-तर्बियत आपके वालिद-ए-माजिद से हुई और फिर उ’लूम-ए-ज़ाहिरी मनेर शरीफ़ के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत रुकनुद्दीन मार्गिलानी से हासिल की और उसके बा’द बग़दाद शरीफ़ के मदरसा निज़ामिया से तकमील फ़रमाया।आपको बैअ’त-ओ- ख़िलाफ़त अपने पीर-ओ-मुर्शिद शैख़-अल-शुयूख़ शहाबुद्दीन सुहरवर्दी से है। आपका सिलसिला सुहरवर्दीया है। आपने ख़्वाजा नज्मुद्दीन कुबरा वली तराश की सोहबत में रह कर भी ख़िर्क़ा-ए-ख़िलाफ़त हासिल फ़रमाया।

    शैख़ कमालुद्दीन अहम यहया मनेरी की शादी पटना के अ’ज़ीम बुज़ुर्ग हज़रत शहाबुद्दीन पीर जगजोत कच्ची दरगाह पटना सिटी की बड़ी साहहिज़ादी बीबी रज़िया उ’र्फ़ ​​बड़ी बुआ से हुई थी। हज़रत सुल्तानुल मख़्दूम के चार साहिबज़ादे और एक साहिबजादी थीं। सबसे बड़े साहिबज़ादे हज़रत मख़्दूम शैख़ जलीलुद्दीन अहमद याहया मनेरी जो अपने वालिद के बा’द मनेर शरीफ़ में सज्जादगी पर रौनक़-अफ़रोज़ हुए। जिनका मज़ार अपने वालिद के पायताने बड़ी दरगाह मनेर शरीफ़ में है। दूसरे साहिबज़ादे हिन्दुस्तान के मशहूर-ओ-मा’रूफ बुज़ुर्ग हज़रत मख़्दूम-ए-जहाँ शैख़ शर्फ़ुद्दीन अहमद याहया मनेरी हैं जिनका मज़ार बड़ी दरगाह बिहार शरीफ़ में है। तीसरे साहिबज़ादे हज़रत मख़्दूम ख़लीलुद्दीन अहमद यहया मनेरी थे जिनका मज़ार हज़रत मख़्दूम-ए-जहाँ के पायताने बड़ी दरगाह बिहार शरीफ़ में है और छोटे साहिबज़ादे हज़रत मख़्दूम हबीबुद्दीन अहमद याहया मनेरी जिनका मज़ार मख़्दूम नगर सिकड्डा पश्चिम बंगाल में है। आपकी एक साहिबजादी थीं जिनकी शादी हज़रत मौलाना मीर शम्सुद्दीन माज़न्दरानी रहमतुल्लाह अ’लैह से हुई।आप दोनों का मज़ार बड़ी दरगाह मनेर शरीफ़ में है

    हज़रत सुल्तानुल मख़्दूम शैख़ कमालुद्दीन अहम यहया मनेरी रहमतुल्लाह की तसानीफ़ में मे’राजनामा, सिराजुल-मज्द का जिक्र मिलता है।आपका फ़ाल-नामा भी मशहूर है।

    हज़रत सुल्तानुल मख़्दूम ने मनेर शरीफ़ में सुल्तान बख़्तयार ख़िल्जी की आमद पर यह कहते हुए हुकुमत और सल्तनत अ’तिया कर दिया कि मुझे याद-ए-इलाही, ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ और ख़ानक़ाह के कामों में रुकावट पैदा करती हैं ”।

    हज़रत सुल्तानुल मख़्दूम ने बिहार, बंगाल, उड़ीसा, आसाम, बंग्लादेश के अ’लावा हिन्दुस्तान के हर ख़ित्ते में तब्लीग़-ओ-इशाअ’त का काम ब-ख़ूबी अंजाम दिया।अ’वाम में आप बहुत ही मुमताज़ बुज़ुर्ग थे ।लोग आपकी ख़िदमत में जौक़-दर-जौक़ आते और आपके अख़्लाक़-ओ-मुहब्बत से मुतअस्सिर होते। आपने रूश्द-ओ-हिदायत के साथ साथ ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ के फ़रीज़ा को इस तरह अंजाम दिया कि आपकी ख़ानक़ाह मरजा-ए-ख़ास-ओ-आ’म बन गई।

    आपका विसाल ग्यारह शाबान-अल-मुअ’ज़्ज़म 690 हिजरी मुताबिक़ 1190 ई0 ब-रोज़-ए-जुमे’रात ख़ानक़ाह-ए- मनेर शरीफ़ में हुआ।आपका मज़ार-ए-मुबारक बड़ी दरगाह मनेर शरीफ़ में है और आपका उ’र्स-ए-मुबारक ख़ानक़ाह-ए-मनेर शरीफ़ में हर साल 10/ 11/ और 12 शा’बान-अल-मुअ’ज़्ज़म को बड़े तुज़क-ओ-एहतिशाम के साथ मनाया जाता है।

    दसवीं सदी हिजरी में भी ख़ानवादा-ए-हज़रत इमाम मोहम्मद ताज फ़क़ीह में सिलसिला-ए-फ़िरदौसिया के एक और अ’ज़ीमुल-मर्तबत बुज़ुर्ग हज़रत मख़्दूम सय्यदना बायज़ीद अलमा’रूफ दीवान शाह दौलत मनेरी हुए।आपकी विलादत 898 हिजरी मुताबिक़ 1492 ई0 में ख़ानक़ाह –ए-मनेर शरीफ़ में हुई।आप मादरज़ाद वली पैदा हुए थे ।ज़ाहिरी उ’लूम की तहसील-ओ-तकमील आपके बुजुर्गों से हुई।

    आप शैख़-ए-कामिल, बड़े ही आ’लिम, ज़ाहिद, फ़क़ीह, शाइ’र-ओ-साहिब-ए-करामत बुज़ुर्ग थे और आपका दीवान भी था। आपके दौर-ए-सज्जादगी में बड़े-बड़े सलातीन-ओ-उमरा शाही ओ’हदेदार, गवर्नर आए और आपसे मुरीद हो कर फै़ज़याब हुए।आपके दौर के बुज़ुर्ग हज़रत सय्यदना दीवान शाह अर्ज़ां आपकी ख़िदमत में आए और वहाँ रह जाने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की मगर हज़रत मख़्दूम शाह दौलत मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह ने उन्हें फ़ैज़ से मालामाल करते हुए अ’ज़ीमाबाद की तरफ़ जाने की हिदायत फ़रमाया।सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाईया के बानी हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उ’ला भी बर्दवान से आगरा जाने के दौरान मनेर शरीफ़ में हज़रत मख़्दूम शाह दौलत मनेरी की बारगाह में तशरीफ़ लाए तो शाह दौलत मनेरी ने यह कहते हुए गले लगाया आओ मेरे शाह-ए-आला और अपने हाथों से अपना जूठा खिला कर फै़ज़याब कर रुख़्सत किया।

    अ’ब्दुर रहीम ख़ानख़ाना और इब्राहिम ख़ाँ कांकड भी आपके मुरीद थे। राजा मान सिंह और तानसेन आपके मो’तक़िद थे और अक्सर यह लोग आपकी ख़िदमत में मनेर शरीफ़ आया करते थे।

    मख़्दूम शाह दौलत मनेरी का विसाल 14 ज़ीका़’दा 1017 हिजरी मुताबिक़ 1608 ई0 को हुआ। आपका मक़बरा छोटी दरगाह से मशहूर-ए-आ’म है और आपका उ’र्स-ए-मुबारक हर साल 14 ज़ीका़’दा को ख़ानक़ाह-ए-मनेर शरीफ़ में मनाया जाता है।

    मनेर शरीफ़ में कई बादशाहों और ओ’हदेदारों ने हाज़िरी दी है. तानसेन, शाह आ’लम, अ’ब्दुर रहीम ख़ानख़ाना (मुरीद), इब्राहिम ख़ाँ कांकर (मुरीद) इसके अ’लावा भी बहुत सारी मशहूर हस्तियों ने हाज़िरी दी और माशाअल्लाह यह सिलसिला जारी है।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

    Register for free
    बोलिए