Sufinama

चादर

उर्स के साथ इस रस्म को मनाया जाता है। चादर आदर और सम्मान की अलामत है। मुरीद चादर के चारों कोनों को पकड़ कर खड़े होते हैं और साथ साथ बाकी मुरीद चलते हैं। चारों कोनों से पकड़ कर चादर सर के ऊपर टांग ली जाती है और साथ साथ क़व्वाल चादर पढ़ते हैं। उर्स के अलावा बाकी दिनों में भी चादर-पोशी के दौरान चादर पढ़ी जाती है।

-1953

मीलाद-ए-अकबर के मुसन्निफ़ और ना’त गो-शाइ’र

1916

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

1876 -1936

मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र और ''बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना' के लिए मशहूर

1916 -1970

मा’रूफ़ फ़िल्म गीत-कार और बेहतरीन शाइ’र

1843 -1909

बिहार के महान सूफ़ी कवि

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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