सो मरिअम केरे जिब्रील
फिराये पर अपने बहु करे जलील
फिराये पराँ कूँ जुदाँ तीन बार
कहे तब निकल ऐ ईसा तू भार
ऐ ईसा, सटो पेट का अब वतन
दिखावो मुबारक ज़माले अपन
हो मुस्ताक़ तुज देखने आये हम
धरें आरजू फिर देखें तुज कूँ हम
सो यों बोल कर टुक किनारे हुए
वहीं हूर मरिअम कने सब किये
जनाने का दस्तूर जो है नशर
बला ल्याये हूराँ वो सब सर बसर
सो मरिअम कतें दरद तब दम बदम
उठया जोर कुव्वत सते दर्दे शिकम
जुदॉ पेट का दर्द जोरा किया
तब मरिअम सूँ ईसा तवल्लुद हुआ
जब मरिअम सूँ पैदा हुआ आफ़ताब
लेकर आये तब हौज़े कौसर का आब
लेकर आये है आबे कौसर कूँ जब
जच्चा होर बच्चे कूँ नहलाये है तब
लिबासॉ जन्नत के पिनाये अनूप
दिसें सूर ईसा मरिअम सरूप
पिछे तख्त पर लिया जच्चा कूँ बिठाय
बच्चे कूँ कनवारे में ल्या कर सुलाय
ओ बैठे अथे पेट कूँ दे को लोड़
खड़े थे केते हूर हाता कू जोड़
यकन्दर सफ़ा बन्द सलामा किया
मुबारक अछो कर दुआ सब दिया
जवाहर के तबक़ा जन्नत सूँ ले आये
हीरा होर मोती लाल मिल के लाये
अपस हात में हूर सारे लिये
जच्चा होर बच्चे पर तसद्दुक दिये
ले आये भई कई भात तबकाँ सवार
खिलाये पछे न्यामत खुशगवार
भई लाये हैं तेज़ाना जन्नत सूँ हूर
खिलाये हैं मरियम कूँ हूराँ ज़तूर
केतक हूर गावे बजावे केतक
यो दोनो पे बुलबुल सो जावे केतक
के मरियम कूँ जब हूर सारे जनाये
ख़ुशी सू बधावा जेते मिल को गाये
मेकाइल जिब्रेल नादिर कलाम
फरिश्तयाँ कूँ ले सात कीते सलाम
ऐ ईसा सलामलेक ऐ शहा
दिया तुज बुजुर्गीं खुदा इस वज़ा
तुजे देखना था बड़ा हम कूँ शौक़
तुजे देक पाये हज़ारा सूँ जौक़
दिये जाब उनकूँ अलेकुल सलाम
ऐ जिब्रेल, मेकइल नेक नाम
मेरी मा ये रहमत खुदा ने किया
करम फ़ज़ल सू मुझ नबूअत दिया
मुझे भी अथा आरजू बिल यकीन
देखूँ तुमकूँ ऐ जिब्रेल अमीन
करूँ इस सूँ बेहतर हिकायत बयाँ
कहूँ मगर फिर बेवफ़ाई ज़बा
कहते है के ईसा नबी पर सलाह
ज़बाँ पर मलाहत अछे पर मलाह
भई एक रोज़ ओ शह सवारी अमीर
रखे जा गुज़र एक जंगल के धीर
दिस्या सख़्त मुश्किल मश्क दक़ीक़
था पानी का वा इक चश्मा अमीक़
दरख्ता यकस्में यकस यूँ भरे
सटे उसपे ख़शख़श तिल्ली ना झड़े
रहते वैसे जंगल ...........................
सो यक नार दो मर्द तीनों जने
देखे दो मर्द एक औरत सह जान
रहने थे ओ तीनों सो जंगल के म्याँन
अलावा खड्डे तीन खोदे थे ओ
रहते थे अपस में जुदा सब सूँ हो
पूछे उनकूँ ईसा ने ऐ दोस्ताँ
हक़ीक़त तुम्हारा मुज बयाँ
तुमें कौन है सब जुदा क्यों रहते
गढ़े खोद कर इस वजा क्यों रहते
कहे वो ऐ ईसा, ऐ शाहेजदा
करे तुज पर रहमत करम नित खुदा
सबब बेवनाई के जंगल तजे
फ़क़ीर के सबब सूँ शहर कूँ तजे
हमें दोनो हैं जुफ़्त ऐ रहनुमॉ
ऐ फ़रजन्द, हमारा गुलामी शमाँ (?)
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