Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

हश्त बिहिश्त

मोहम्मद बाक़र आगाह

हश्त बिहिश्त

मोहम्मद बाक़र आगाह

MORE BYमोहम्मद बाक़र आगाह

    अब सुन हाल असहाबे फ़ील

    किस तरह किया हक उनको क़तील

    क्यो कर कीता उनको मक़हूर

    था सरूर का नूर ज़हूर

    है तारीख तफ्सीर बहतर

    के अब्रहा नामी एक था खर

    यों अज्म काय था वह शैतान

    ता कर देवे कावा बीरान

    सात उसके थे मर्दाने कार

    वे अस्प सवारा तीन हज़ार

    होर फ़ील सवारा चार हज़ार

    होर ऊटो का कुछ नहीं था शुमार

    हरे फ़ील अथा यक कोह पैकर

    थी आहन की पाखर सब पर

    थे जल्दी में घोड़े से जियाद

    थे दौड़ में वह मानिन्द बाद

    यह लश्कर लेकर वह मलऊन

    मक्के का तरफ कीता है मुह

    जब लोग अरब के सुन यह खबर

    उससे लड़े हैं सबक़त कर

    मक़तूल हुए है मोत उन सू

    होर भागे थोड़े मक्के कू

    दो तीन मरातिब वह लश्कर

    जंग उससे किये नई पाये ज़फ़र

    अल हासिल जब नज़दीक आया

    यक क़ासिद को वहाँ दौड़ाया

    बोला के तोकू मुज जानिब सूँ

    सब अरबाँ के सर दफ्तर कूँ

    है कीना हम कू इस घर सूँ

    ता तोडू टुकड़े कर उसकूँ

    है दिलकी खाहिश इमको इते

    नई काम तुमारे जंग सते

    गर दिल है तुमारा जंग ऊपर

    तो फ़ील करेंगे हम यकसर

    जब क़ासिद मक्के में आकर

    अम्र के ऊपर कीता है नज़र

    भोत उसका किया अदब बजान

    लुटपुटने लगी तब उसकी ज़बान

    होर बेखुद होकर भुई पर गिरा

    होर खूर खूर तब करने को लगा

    जब अक़ल हुई उसकी मौजूद

    उस क़हर को कीता है सजूद

    बोला के तू है शेख़ मीर कुरेश

    हर खूबी मे है मीरे कुरेश

    पस बोला के उसको सब पैगाम

    सुन उसको कहा वह मीरे किराम

    नर्ई हमको हर्गिज है वह बल

    ता उससे करें हम जंगो जदल

    होर मुल्क हमारा नई है घर

    इस घर का साहब है दीगर

    वह तुड़वा दे गइ इस शह सू

    क्या हाजत है करना हम कू

    गर देवे उसको वह कुव्वत

    तो क्या है सुलतान की कुदरत

    यूँ बोल उठा वह बविस्वास

    होर जल्द गया उस ज़ालिम पास

    वह शह उसकी ताज़ीम किया

    ले इज्ज़त होर करीम किया

    यक हाती था उस पास सुफ़ीद

    थी उससे उसको सब उम्मीद

    जिस जा वह हाती जाता था

    तो फ़तह उनों को आता था

    था नाम वह हाती का महमूद

    नर्ई करता था वह शह को सजूद

    उन बोला वह हाती लावो

    सरदारे अरब को बतलावो

    जब आया वह फ़ीले महमूद

    देख उसको किया फ़िलहाल सजूद

    यह देख जला सरदारे हबश

    दिल बीच हुआ अपने नाखुश

    बोला है क्या मतलब तेरे

    वह बोला ऊटा दे मेरे

    बोला है तुझे ग़म है ऊटा का

    कुछ ग़म नई पत रहमाँ का

    वह बोला बाली इस घर का

    है खालिक सब बहरो बर का

    वह करेगा अब इस घर को जतन

    ना छोडेंगा किसको उस कन

    पस ले वह किया ऊटा अपने

    जल्द आया पत अल्ला कने

    हात अपना रख काबा के ऊपर

    बोला ख़ल्लाक़ अकबर

    हर साहबे में जल अपना घर

    करता है जतन अज़ शर ज़रूर

    यह घर है तेरा कुदरत

    है तुजको सबो से ले इज्जत

    यह लश्कर ले फ़ीलाँ को बहुत

    आया के तुड़ावे उसको तुरत

    इस बात को तू रखना है रवा

    इस घर को करें तेरे वो फ़ना

    इस दावत को जब खत्म किया

    ले सात अपस के सबको गया

    जब बैठा कोह तबरा पर

    थे गिर्द उसके अरबॉ यकसर

    तब अद्ध मतलब बा मर्दुम

    बोला के सुनो याराँ तुम

    यह नूर जो आया काबे पर

    है उसकी अलामत हमको ज़फ़र

    वह लश्कर ज़ालिम रोज़ो ग़र

    फीला को चलाये काबे पर

    ता मक्के में तूफ़ान करें

    होर काबे को वीरान करें

    महमूद कतें तब पेश किये

    होर लश्कर पीछे उसके दिये

    वह हाती अपनी जागे पर

    अटका है बहुत बेखुद होकर

    हरचन्द चलाते थे उसकू

    वह नर्ई हिलता था जागे सूँ

    जब लश्कर का था रहबर

    सब अटके है वहॉ हैरॉ हो

    इतने में हुई बलाये हवा

    मुर्ग़ा अबाबीलाँ पैदा

    वह मुर्ग़ा सब एकजां होकर

    काबे पो ठहर गये थे यकसर

    दो पावा में होर चोंच भितर

    पकड़े थे नखूद से पत्थर

    हर मुर्ग़ तब ऊपर हर सवार

    यक कंकर को डाला यार

    सर फोड़ कर उसका वह कंकरा

    हाती के शिकम सते गुज़रा

    लश्कर वह हुआ सब वहॉ नाबूद

    को बचा वहॉ बजुज महमूद

    था अब्रहा पीछे लश्कर में

    यह देख हुआ हैरान मन में

    फ़िल फ़ोर हुआ है उसको जुज़ाम

    जीने के किया उसको नाकाम

    जल्दी वहा से भाग गया

    यक पीछे उसकी पीट लिया

    जो हादसा मक्के में देखा

    सुलतान हबश से जाको कहा

    जब बात किया पूरी वह खर

    वह मुर्ग़ सटया कंकर उस पर

    फ़िलहाल गया वह दोज़ख में

    शह बहुत डरा उस हालत में

    ले अब्द मतलब कुल अरब

    आया मक्के के अन्दर तब

    माल उनका जो था सब हाल किया

    होर अरबो को भी उससे दिया

    दो रोज़ मे उन मुर्दो से

    बदबू उठी है मक्के में

    सरदारे अरब जा काबे कूँ

    ज़ारी से कहा है मौला सूँ

    मौला ने एक नदी भेजा

    ता उनको अदम में सते लेजा

    अकीती अव्वल सबको वह दूर

    यह अहमद का था नूरो ज़हूर

    हुई तबसे अरब को बी इज्ज़त

    सब करने लगे शाहाने हुरमत

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए