किस्सासुल अम्बिया
रही यूसुफ़ सते हुशियार हुशियार
मेरा पोचाओ लाकर फिर को दिलदार
लिये यूसफ़ कूँ चले भार्या बहर हाल
शह के पास हुरमत सूँ करे चाल
उठा बकरियाँ उसकी एक चरागाह
दो फ़रसंग शहर सूँ वहाँ लिए राह
अगो चलते थे यूसुफ़ शाद फ़रहाँ
खुशी करते हुए हँसते ख़िरामाँ
पिछे चलते थे दस भार्या मिला कर
जिधा पिछे वो जंगल बीच यकस़र
चलाये मिल को सब यूसुफ़ ऊपर हात
लगे कोई मारने तफ़रीख कोई लात
लगे यूसुफ़ कू देने बहुत आज़ार
लगे करने कूँ हर यक मार पर मार
करे यूसुफ़ कूँ देने बहुत दुश्नाम
करे यूसुफ़ ऊपर गालियाँ का सग्राम
लगे रोने कूँ यूसुफ़ देख़ ख़ारी
घिघिया कर आजिज़ी होर बहुत ज़ारी
तुम्हारे नर्ई गुनाह हुए मुज सूँ सादर
बता क्यूँ मारते हो मुज कूँ व आख़िर
तुम्हारे मुँजे सो नबी अथे बाप
मुँजे क्यूँ मारते धौल और निहाप
तुम्हारी नर्ई किया तक़सीर भायाँ
मेरे सूँ तुम यो क्यूँ करते हो अदायाँ
मुँजे क्यूँ इस क़दर करते हो आज़ार
तुम्हारा नर्ई हकीक़त में गुनहगार
अमानत में पिदर के किया ख़यानत
मुँजे क्यूँ मारते हो बेनिहायत
पिदर के हक़ कूँ कुछ लावे नज़र में
रखो अपने के तर्ई हक़ के कदर में
मुँजे लाये पिदर सूँ कर को तदबीर
अज़ीयत का तुमें कर दिल में तदबीर
पिदर पर देख कर बख्शो मुझे अब
अमानत में तफ़ाउत में करो सब
करे हरचन्द यूसुफ़ आजिज़ी तब
वले नई रहम लाये वेकडर सब
कहे तूँ झूठ क्यूँ बोला है सपना
पिदर कूँ तूँ कर्या मरहून अपना
कहाँ महताब है कहाँ है सितारे
जो बोला ख़्वाब में बोला है सारे
पिदर कूँ तूँ हमारे सूँ फिराया
पिदर के दिल सते हमना गिराया
मगर है दिल में तेरे आरजू यूँ
कलावे सब हमारे पर बड़ा तूँ
ग़र तू चाहता हमें आदाब करना
अपस अगो नवा हम सर कूँ धरना
तुजे अब जान सूँ हम मारते है
अपस का दण्ड सारा सारते है
बारे देखे तेरा यहा दादरस कौन
यहा आता तेरा फ़रियादरस कौन
पड़े यूसुफ़ यहोदा के क़दम पर
यहोदा ने कहा भाया कूँ यो कर
नको मारो तुमें यूसुफ़ के तर्ई अब
रहो उस अहद पर क़ायम इता सब
किये थे तुम मेरे सूँ अहद मिल कर
के इसकू डालना कुए के अन्दर
येता यू मारने के क्या हैं अक़बाल
सताने के तुम्हारे क्या यू अफ़आल
रहो क़ायम अपस इक़रार ऊपर
ख़याले क़त्ल में लिए दीन का शर
हो यहोदा सूँ सुने सब, सब बिरादर
हुए क़ायम अपस इक़रार ऊपर
अथे एक जाह तब नज़दीक उन सूँ
किये यूसुफ़ कूँ सब पे इस बजा सू
करे नंगा मुबारक उनके तन कूँ
निकाले उनके तन सू पैरहन कूँ
उनो कूँ डोल में बन्द कर बिठा कर
बो छोड़े डोल कूँ कुए के अन्दर
निपट करते थे तब यूसुफ़ ज़ारी
था उनके पाक दिल पर दर्द व बीमारी
किये थे या इलाही पाक क्या किया मैं
के इस भायो सूँ छिन कर क्या लिया मैं
न उनकूँ आज लग मैं कुछ सुनाया
हम है भायां करको मैं उनको पतयाया
यो करते हैं मेरे जुल्म इस तौर
नहीं कोई भाई पर किया ऐसा ज़ोर
न कोई दिसता पिदर कूँ जाको बोले
पिदर पर जा मेरे अहवाल खोले
बहुत रोते अथे मज़लूस यूसुफ़
निपट रोते अथे करते तआस्सुफ़
न भाया का हुआ तब नर्म कुछ दिल
न आया रहम सूँ उनके दिल पो यक तिल
यहोदा की थी रस्सी औ डोल हात
अथा शमून भायाँ दूसरे सात
यो पोंचा निस्फ़ जा लग डोल जाकर
कठिन दिल कर को शमऊन बिरादर
अपस से ना अदावत सात दाटया
छोड़े लिए हात में रस्सी कूँ काटया
अथा शमऊन के यूँ दिल के अन्दर
के मरना बावड़ी में पड़ाव अनवर
अथा नेज़े बराबर चाह में आब
पड़ा यूसुफ़ का जिस कुए में ताब
कता रस्सी किया शमून ने जब
सो जिब्रेल अमीन कुएँ में आ तब
उठा कर ले को यूसुफ़ मुअल्लक़
अपस के हात के ऊपर इमलक़
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